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1.
पात्रता
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई स्टार्ट-अप इंडिया योजना के अनुसार इकाई को संबंधित सरकारी प्राधिकरण द्वारा स्टार्ट-अपके रूप में पात्र एवं प्रमाणित होना चाहिए.
2.
उद्देश्य
उत्पादों या प्रक्रियाओं या सेवाओं के नवोन्मेष, विकास या सुधार के लिए वित्तपोषण या यदि यह स्टार्ट-अप इंडिया योजना के अनुसार रोजगार सृजन या संपत्ति निर्माण की उच्च क्षमता वाला एक स्केलेबल व्यवसाय मॉडल है.
3.
वित्त की मात्रा
न्यूनतम: रु. 0.10 करोड़
अधिकतम: रु. 5.00 करोड़
4.
मार्जिन
20% (कार्यशील पूंजी के साथ-साथ सावधि ऋण)
5.
सुविधा
सावधि ऋण और/या कार्यशील पूंजी (निधि आधारित एवं गैर-निधि आधारित)
6.
प्रसंस्करण शुल्क
शून्य
7.
चुकौती
कार्यशील पूंजी: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार नवीनीकरण के अधीन 12 महीने. (कार्यशील पूंजी सीमा को परियोजना पूरा होने तक या इससे पहले जैसा भी मामला हो, निलंबित रखा जा सकता है.)
सावधि ऋण: अधिकतम डोर-टू-डोर ऋण चुकौती 10 वर्ष होगी जिसमें अधिस्थगन अवधि 36 महीने से अधिक नहीं होगी. चुकौती मासिक/तिमाही किस्तों में हो सकती है. ब्याज अलग से वसूल किया जाएगा.
8.
प्रतिभूति
प्राथमिक: बैंक के वित्त से सृजित सभी मूर्त आस्तियां दृष्टिबंधक/बंधक आदि के रूप में बैंक के पक्ष में ऋणभारित की जाएंगी.
संपार्श्विक: इस पर आग्रह नहीं किया जा सकता है.
9.
मूल्यांकन
ऋण नीति में निर्दिष्ट ऋण पद्धति के अनुसार मूल्यांकन किया जाना है.
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