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यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, ने बीसी-बीएफ़ (कारोबार सहयोगी/कारोबार सुसाधक) की नियुक्ति द्वारा बैंकिंग सेवा से वंचित लोगों तक बैंकिंग सेवा पहुंचाने और उन्हें घर बैठे बैंकिंग सेवा प्रदान करने के लिए शाखारहित बैंकिंग की अवधारणा प्रस्तुत की है. इसका मूल उद्देश्य लोगों को गरीबी से समृद्धि की ओर ले जाना है.
वर्तमान में बैंक ने 6 तकनीकी सेवा सहायक नियुक्त किए हैं जो शाखारहित बैंकिंग मॉडल के माध्यम से बैंकिंग परिचालन का पूर्ण समाधान प्रदान करते हैं. बैंक ने व्यवसायिक सहयोगी के साथ तकनीकी टीम को संबद्ध किया है और नामांकन स्टेशन की जिसमें माइक्रो एटीएम/लैपटॉप, वेब कैमरा और उंगलियों के निशान लेने वाली मशीन प्रदान की है जिसकी सहायता से लाभार्थियों का नामांकन किया जा सके. कंप्यूटर में दर्ज आंकड़ों में जनसंख्या विवरण सहित नाम, पता, पिता/पति का नाम, व्यवसाय, वार्षिक आय, श्रेणी आदि शामिल है. इसके बाद, सभी दस उंगलियों के निशान लिए जाते हैं और बैंक के सर्वर में संग्रहीत कर लिए जाते हैं.
संग्रहीत डेटा के आधार पर सरल केवाईसी शर्तों के पालन से बैंक मूल बचत बैंक खाता खोल देता है. इस प्रकार से लिया गया डाटा सीबीएस में संग्रहीत रहता है.
खाता धारक को रुपे कार्ड जारी किया जाता है, जिसके द्वारा ग्राहक बीसी/शाखा/एटीएम से पैसे आहरित कर सकता है.
संग्रहित डेटा के आधार पर और केवाईसी के सरल मानदंडों का पालन करके बैंक नो-फ्रिल बैंक बचत खाता खोलता है. लिया गया डेटा,कार्ड में एम्बेडेड चिप में संग्रहीत किया जाता है और लाभार्थी का कार्ड उसे सौंप दिया जाता है. इस कार्ड का लाभ यह है कि पिन नंबर के बजाय इस कार्ड में एम्बेडेड चिप में संग्रहित खाता धारक की उँगलियों के निशान की पहचान होती है और उसके आधार पर लेन-देन को प्रमाणित किया जाता है.
उपर्युक्त वर्णित प्रक्रिया से सामान्य खाता खोलने के अलावा, ज़्यादातर नए खाते ई-केवाईसी के द्वारा खोले जाते हैं, जहां ग्राहक का प्रमाण यूआईडीएआई द्वारा किया जाता है: और ऐसे मामलों में फिंगरप्रिंट बैंक में संग्रह नहीं किया जाता है.
खाता धारक आधार के माध्यम से भी लेनदेन कर सकता है जिसमें ग्राहक का खाता आधार के साथ जोड़ दिया जाता है. ऐसे लेनदेन एईपीएस के माध्यम से किए जाते हैं जहां ग्राहक का प्रमाणन यूआईडीएआई के द्वारा किया जाता है.
लेनदेन की प्रकृति के “आधार" पर, एजेंट या तो नकदी प्राप्त करता है या खाताधारक को नकद भुगतान करता है. लेन-देन पूरा करने के बाद; माइक्रो एटीएम से दो प्रतियों में रसीद प्राप्त होती है, जिसकी एक प्रति (एजेंट द्वारा विधिवत हस्ताक्षर करके) खाता धारक को दी जाती है. सभी लेनदेन तत्काल होते हैं और ग्राहका का खाता तत्काल आधार पर सीबीएस प्रणाली में क्रेडिट या डेबिट हो जाता है.
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत बैंक ने अगस्त 2014 में शुरू हुए वित्तीय समावेशन के तहत 5407 एसएसए को 18396 गांव आवंटित किए हैं. ये सभी एसएसए 5407 बैंक मित्र की नियुक्ति द्वारा कवर किए गए हैं वित्तीय समावेशन के अंतर्गत पूरे भारतवर्ष में पैन इंडिया में `2654.46 करोड़ की जमा राशि के साथ 241.97 लाख खाते खोले गए. 31 दिसंबर 2016 तक माइक्रोफ़ाइनेंस के अंतर्गत तक बीसी मॉडल में `654.93 करोड़ की रही प्रदान की गयी है.
कारोबार सहयोगी मॉडल क्या है? इस नवोंमेषी मॉडल में, सुविधा सेवाएं प्रदान करने के लिए, बैंक म्ध्यस्थों का प्रयोग कर सकता है. इनमें निम्न सेवाएं शामिल हो सकती हैं: (i) उधारकर्ताओं की पहचान और उनकी गतिविधियों का निर्धारण (ii) ऋण आवेदनों का संग्रह और उनकी प्रारंभिक प्रोसेसिंग (iii) बचत और अन्य उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करना और धन प्रबंधन और ऋण संबंधी पर सलाह और शिक्षा; (iv) स्वयं सहायता समूह/संयुक्त देयता समूह का संवर्धन और पोषण (v) ऋण मंजूरी के बाद निगरानी; (vi) स्वयं सहायता समूह/संयुक्त देयता समूह /क्रेडिट समूह/की निगरानी और उन्हें प्रोत्साहित करना. (vii) वसूली हेतु अनुश्रवण, (viii) कम मूल्य के ऋण का संवितरण, (ix) मूल या ब्याज की वसूली, (x) कम राशि की जमा का संग्रह, (xi) सूक्ष्म ऋण उत्पादों, म्यूचल फंड आदि की बिक्री, (xii) कम मूल्य का धन प्रेषण और अन्य भुगतान लिखतों की प्राप्ति और सुपुर्दगी.
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