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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यूा) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने निवासी भारतीयों को विदेशी विनिमय सुविधाओं के सरलीकरण व उदारीकरण की तरफ एक कदम बढ़ाते हुए फरवरी 2004 में उदारीकृत धन-प्रेषण योजना घोषित की है. इस योजना के अनुसार, निवासी व्यक्ति प्रत्येक वित्त वर्ष में किसी भी अनुमति वाले पूंजी एवं चालू खातों में 200,000 यू.एस.डॉलर तक रेमिट कर सकते है. यह योजना ए.पी. डीआईआर सीरीज, सर्कुलर नं. 64 दिनांक 4 फरवरी, 2004 से क्रियान्वित हुई.
प्रश्न 1. उदारीकृत धन-प्रेषण योजना के तहत स्वीकार्य पूंजी खातों के लेन-देन की एक विस्तृत सूची प्रदान करें? इस योजना के तहत धन-प्रेषण, निवासी व्यक्तियों को किसी भी अनुमति युक्त पूंजी या चालू खातों या दोनों हेतु लेन-देन करने के लिए उपलब्ध है. इस योजना के तहत निवासी व्यक्ति रिजर्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना भी भारत के बाहर स्थिर प्रोपर्टी, शेयर या ऋण पत्र या अन्य कोई सम्पति खरीद सकते है. व्यक्ति भारत के बाहर के बैंकों के साथ विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते है, उनका संचालन कर सकते है तथा उन्हें भविष्य में भी चालू रख सकते है. इस योजना के तहत धन-प्रेषण सुविधा निम्न के लिये उपलब्ध नहीं हैं: i) ऐसे किसी उदेदश्य के लिये धन-प्रेषण जो कि अनुसूची 1 के अन्दर विशेष रूप से निषिद्ध घोषित किया गया हो या किसी मद को विदेशी मुद्रा प्रबंधन की द्वितीय अनुसूची (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 के तहत निषिद्ध किया गया हो. ii) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भूटान, नेपाल,मारिशस या पाकिस्तान को किये गए धन-प्रेषण iii) फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स द्वारा असहयोगात्मक देशों और क्षेत्रों के रूप में समय समय पर पहचाने गए देशों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किये जाने वाले धन-प्रेषण iv) रिज़र्व बैंक द्वारा अन्य बैंकों को सूचित किए गए व्यक्तियों या संगठनों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रुप से धन प्रेषित करन, जो बड़ी जोखिमों वाली संदिग्ध आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त हैं. v) भारत से मार्जिन या मार्जिन कॉल्स के लिये विदेशी विनिमय/विदेशी काउण्टर पार्टी हेतु धन-प्रेषण को इस योजना के तहत अनुमति नहीं है.
प्रश्न 2. क्या यह सुविधा अनुसूची-3 में धन-प्रेषण के अन्तर्गत दी गई सुविधाओं के अतिरिक्त है? इस योजना के तहत धन-प्रेषण सुविधा पूर्व में निजी यात्रा, बिजनेस यात्रा, अध्ययन, मेडिकल उपचार हेतु उपलब्ध धन-प्रेषण सुविधाओं के अतिरिक्त है. यह योजना उन उद्देश्यों के लिये भी उपयोग में लाई जा सकती है. हालांकि, उपहार और दान के लिये धन-प्रेषण अलग से न कर इसी योजना के तहत किये जाने हैं. तदानुसार, निवासी व्यक्ति इस योजना के तहत प्रति वित्तीय वर्ष 200,000 यूएस डॉलर तक उपहार और दान के रुप में धन प्रेषण कर सकते हैं.
प्रश्न 3. क्या नाबालिग व्यक्ति/एचयूएफ/फर्म/कम्पनियां भी इस धन-प्रेषण सुविधा का लाभ उठा सकते है? यह सुविधा नाबालिग व्यक्तियों सहित सभी निवासी व्यक्तियों के लिये उपलब्ध है. परंतु, यह सुविधा एचयूएफ/फर्म/कम्पनियों के लिये उपलब्ध नहीं है.
प्रश्न 4. क्या इस सुविधा के तहत होने वाले धन-प्रेषण परिवार के सदस्यों के सम्बन्ध में समेकित किये जा सकते है? सुविधा के तहत होने वाले धन-प्रेषण परिवार के सदस्यों के सम्बन्ध में समेकित किये जा सकते है बशर्ते कि परिवार का प्रत्येक व्यक्ति योजना की नियमों तथा शर्तों का पालन करें.
प्रश्न 5. क्या इस योजना का उपयोग कला की वस्तुओं जैसे पेन्टिंग आदि खरीदने के लिये सीधे किया जा सकता है या किसी नीलामी घर के द्वारा? इस योजना का उपयोग कला की वस्तुओं जैसे पेन्टिंग आदि खरीदने के लिये किया जा सकता है बशर्ते कि खरीद, दूसरे लागू होने वाले कानूनों, जैसे कि भारत सरकार के विदेशी व्यापार समझौता आदि के अनुरूप हो.
प्रश्न 6. क्या एक निवासी व्यक्ति म्युचुअल फंड, वेंचर फंड, अनरेटेड ऋण प्रतिभूतियों, वचन पत्रों आदि की इकार्इयों में निवेश कर सकते हैं? एक निवासी व्यक्ति म्युचुअल फंड, वेंचर फंड, अनरेटेड ऋण प्रतिभूतियों, वचन पत्रों आदि की इकाइयों में निवेश कर सकता हैं. इसके अलावा, निवासी योजना के तहत विदेश में खोले बैंक खाते के माध्यम से भी ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते है.
प्रश्न 7. क्या एक निवासी व्यक्ति विदेशी एक्सचेंजों/ विदेशी प्रतिपक्ष के लिए मार्जिन मनी की ओर धन-प्रेषण कर सकते हैं. मार्जिन या मार्जिन कॉल मनी के लिये विदेशी एक्सचेंजों/ विदेशी प्रतिपक्ष की ओर भारत से धन-प्रेषण को इस योजना के तहत अनुमति नहीं है.
प्रश्न 8. क्या एक व्यक्ति जिसने विदेश में अप्रवासी के रूप में रहते हुए लोन लिया है, भारत लौटने पर उसका पुनर्भुगतान इस योजना के तहत एक निवासी के रूप में कर सकता है? इसकी अनुमति है.
प्रश्न 9. क्या निवासी व्यक्ति के लिये इस योजना के तहत विदेशों में धन-प्रेषण भेजने के लिये पेन नंबर का होना आवश्यक है? इस योजना के तहत धन-प्रेषण भेजने के लिये पैन(PANPANPAN) नंबर का होना आवश्यक है.
प्रश्न 10. क्या निवासी व्यक्तियों का बैंक खाता होना आवश्यक है? आवेदक का धन-प्रेषण करने से पहले बैंक के साथ न्यूनतम एक साल पुराना बैंक खाता होना चाहिये. यदि ग्राहक नया है तो उसको पिछले वर्ष का पूर्व के बैंक से प्राप्त खाता विवरण जमा कराना चाहिये.
आयात : प्रश्न 1 माल के आयात के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के नियम क्या है? आयातक का बैंक खाता होना चाहिये तथा बैंक को "ग्राहक को जानें"( केवाईसी) मानक पूरे करने चाहिये. आयातक के पास आई.ई.सी. नंबर होना चाहिये. जहॉ भी जरूरी हो आयातक के पास आयात लाईसेंस होना चाहिए.
प्रश्न 2 आयात के भुगतान के सेटलमेंट के लिये समय सीमा क्या है? आयात के लिय धन-प्रेषण, लदान की तारीख से छह महीने के अन्दर पूरा होना चाहिये.
प्रश्न 3 आयात के लिये स्वीकृत अधिकतम धन-प्रेषण राशि कितनी है? यदि अग्रिम धन-प्रेषण माल के आयात के लिये 100,000 यू.एस. डॉलर तथा सेवाओं के आयात के लिये 500,000 यू.एस. डॉलर से अधिक हो तो 5 मिलियन यू.एस. डॉलर बशर्ते कि अग्रिम धन-प्रेषण के प्राप्तकर्ता से विदेशों बैक गारण्टी प्राप्त करना जरूरी है. यह बैंक द्वारा उनकी आन्तरिक नीति के तहत माफ की जा सकती है. प्रश्न 4 अग्रिम धन-प्रेषण कर देने के बाद माल के आयात की समय सीमा क्या है? भारत में माल का भौतिक आयात भुगतान की तारीख से छह महीने के अन्दर (पूंजीगत माल के मामले में 3 वर्ष) होना चाहिये. प्रश्न 5 क्या आयातक आयात दस्तावेज विदेशी सप्लायर्स से सीधे प्राप्त कर सकते है? हॉ, यदि आयात का मूल्य 300,000 यू.एस. डॉलर के मूल्य से अधिक न हो. हालांकि, ख्याति प्राप्त निर्यातकों, सेज में 100% ईओयू / इकाइयों, सीमित कंपनियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के द्वारा किये गये आयात के लिये कोई मूल्य सीमा तय नहीं है.
प्रश्न 6 क्या मर्चेन्टिंग व्यापार के आयात लेग के लिये अग्रिम भुगतान किया जा सकता है? हॉ. हालांकि, निर्यात लेग के भुगतान अग्रिम धन-प्रेषण की तारीख से तीन महीने के अन्दर प्राप्त होना चाहिये बशर्ते कि क्यू-3 की अन्य सभी शर्तें पूरी की गई हो.
प्रश्न 7 क्या मर्चेन्टिंग व्यापार के तहत आयातक खरीददारी हेतु क्रेडिट का लाभ उठा सकते है? नहीं.
प्रश्न 8 क्या मर्चेन्टिंग व्यापार के तहत एक्सपोर्ट लेग का भुगतान पहले प्राप्त कर इम्पोर्ट लेग का भुगतान बाद की तारीख में किया जा सकता है? नही. जब भी एक्सपोर्ट लेग का भुगतान इम्पोर्ट लेग से पहले प्राप्त होता है, बैंक को इम्पोर्ट लेग के दायित्व को एक्सपोर्ट लेग के प्राप्त हुए पेमेंट से बिना किसी देरी के पूरा करना सुनिश्ति करना चाहिये.
पश्न 9 क्या यह आवश्यक है कि मर्चेन्टिंग व्यापार लेनदेन के इम्पोर्ट लेग में प्रवेश से पहले एक्सपोर्ट लेग होना चाहिये? हॉ. चूंकि आयात तथा निर्यात लेग की शर्तें आपस में सम्बन्धित है इसलिए इम्पोर्ट लेग से पहले एक्सपोर्ट लेग होना चाहिये.
प्रश्न 10 क्या यह आवश्यक है कि लेन-देन का एक्सपोर्ट लेग एमटीटी के तहत प्राइम बैंक की एलसी (LC)से समर्थित होना चाहिए? नहीं. एमटीटी एक्सपोर्ट लेग एलसी या पुष्ट आदेश से समर्थित होनी चाहिए. परंतु, यदि ग्राहक इम्पोर्ट एलसी(LC) बनाना चाहे, तो एक्सपोर्ट लेग प्राइम बैंक की एलसी(LC) से समर्थित होना जरूरी है.
रूपये में निर्यात क्रेडिट : प्रश्न 1 पैकिंग क्रेडिट का क्या मतलब है? पैकिंग क्रेडिट माल के लदान के पहले फाईनेंस है जिसका मतलब है कि किसी भी निर्यातक को माल के लदान के पहले माल की खरीद, प्रोसेसिंग, उत्पादन पैकिंग/भारत से निर्यात के लिये ली गई सेवाओं हेतु कार्यशील पूंजी खर्चे हेतु ऋण या अग्रिम स्वीकृत राशि है.
पश्न 2 क्या पैकिंग क्रेडिट अग्रिम मर्चेन्टिंग व्यापार के लिये भी उपलब्ध है? नहीं. मर्चेन्टिंग खरीद के लिये कम ब्याज दरों पर निर्यात क्रेडिट उपलब्ध नहीं है.
प्रश्न 3 अग्रिम की अवधि क्या है? अग्रिम की अवधि माल की प्राप्ति, उत्पादन, प्रोसेसिंग तथा लदान में लगने वाले समय पर निर्भर करती है.
प्रश्न 4 पैकिंग क्रेडिट का लिक्विडेशन कैसे कर सकते है? प्री-शिपमेंट vvअग्रीम को पोस्टशिपमेंट अग्रीम में बदल कर यानी पैकिंग क्रेडिट अग्रिम को एक्सपोर्ट बिलों के भुगतान को डिस्काउण्ट द्वारा समायोजित करके.
प्रश्न 5 क्या पैकिंग क्रेडिट अग्रिम को ईईएफसी/रूपया खातों के अलावा भी समायोजित किया जा सकता है? हॉ, यदि प्रदान किए गए एक्सपोर्ट बिल, कलेक्शन आधार पर भेजे गए हो तथा इन बिलों के बढ़ी मूल्य सीमा को पैकिंग क्रेडिट अग्रीम अलावा भी ईईएफसी/रूपया खातों के समायोजित किया जा सकता है.
प्रश्न 6 क्या एक सप्लायर से निर्यातक पैकिंग क्रेडिट अग्रीम के लिये योग्य है? हॉ, उत्पादक सप्लायर जिनका माल एसटीसी/एमएमटीसी या अन्य निर्यात घरों, एजेन्सियों आदि से निर्यात होता हो या निर्यात आर्डर होल्डर पैकिंग क्रेडिट अग्रिम के लिये कुछ शर्तों और स्थितियों के साथ योग्य है.
प्रश्न 7 पोस्ट शिपमेंट अग्रीम के प्रकार क्या है? पोस्ट शिपमेंट अग्रीम, मुख्यतः निम्न रूप में लिया जा सकता है - खरीदे/छूट दिये गये/निईगोशिएटेड निर्यात बिल संग्रह के बिलों पर अग्रिम सरकार से प्राप्तियों के आधार पर अग्रीम
प्रश्न 8 पोस्ट शिपमेंट अग्रीम को कैसे समायोजित किया जाता है?br> पोस्ट शिपमेंट क्रेडिट d को लिकक्विडेट किया जाता है - निर्यात माल/उपयोग में ली गई सेवाओं के लिये विदेष से प्राप्त निर्यात बिलों के द्वारा ईईएफसी खातों में उपलब्ध बैलेंस किसी भी संग्रह बिल जिसका फाईनेंस नहीं किया गया हो ऐसे बिलों को वसूली हेतु फोलो-अप करना चाहिये तथा आर.बी.आई. के एक्स.ओ.एस. स्टेटमेंट में दर्शाना जारी रखना चाहिये.
विदेशी मुद्रा में निर्यात क्रेडिट : प्रश्न 1 क्या विदेशी मुद्रा में निर्यात क्रेडिट के लिये अलग क्रेडिट सीमा की आवश्यकता है? नहीं, यह योजना भारतीय निर्यातकों को अंतराष्ट्रीय प्रतीस्पर्धी ब्याज दरों पर प्री शिपमेंट क्रेडिट देने हेतु अतिरिक्त सुविधा है. रूपया निर्यात क्रेडिट सम्बन्धित निर्देश विदेशी मुद्रा में निर्यात क्रेडिट पर लागू होते है, म्यूटेटिस म्यूटेण्डिस.
प्रश्न 2 विदेशी मुद्रा में निर्यात फाईनेंस का लाभ लेने हेतु क्या विकल्प उपलब्ध है? निर्यातक के पास विकल्प है - प्री शिपमेंट क्रेडिट का रूपयों में लाभ लेना तथा पोस्ट शिपमेंट क्रेडिट का रूपयों में लाभ लेना या निर्यात बिलों पर विदेशी मुद्रा में छूट प्राप्त करना. प्री शिपमेंट क्रेडिट का विदेशी मुद्रा में लाभ लेना तथा निर्यात बिलों पर विदेशी मुद्रा में छूट प्राप्त करना. प्री-शिपमेंट क्रेडिट का रूपयों में लाभ लेना तथा ड्राअल्स को पीसीएफसी में बची अवधि के लिये बैंक में फोरेक्स फण्ड की उपलब्धता के आधार पर परिवर्तित करना.
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