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सभी प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की भूमिका को मान्यता प्राप्त है. विशेषतः विकासशील एवं उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मामलें में यह प्रखर होती जा रही है जहाँ एमएसएमई को उन्नति का इंजन माना गया है. दुनियाभर में एमएसएमई का सार्थक रूप से रोजगार सृजन, राष्ट्रीय आय का समान वितरण, स्थानीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग, गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण विकास एवं साथ ही निजी क्षेत्र के लिए पूंजी जुटाने में महत्वपूर्ण योगदान है. एमएसएमई बड़े पैमाने पर उद्योगो की आपूर्ति श्रृंखला का अभिन्न हिस्सा है एवं यह सम्पूर्ण उद्योग क्षेत्र को अत्यावश्यक उत्पादन के पश्चात एवं उत्पादन-पूर्व सहबद्धताएं (forward and backward linkage) प्रदान करता है.
इस क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास एवं उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान है. अतः यह क्षेत्र देश को स्थानीय प्रतिस्पर्धा के लाभ का उपयोग कर वैश्विक प्रभुत्व प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है. भारत में एमएसएमई का महत्व इस तथ्य से स्पष्ट है कि एमएसएमई क्षेत्र का देशी के राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 9%, विनिर्माण उत्पाद में लगभग 45% एवं कुल निर्यात मे 40%. का योगदान है.
(पिछले कुछ वर्षों में, भारत सरकार ने एमएसएमई के विकास के लिए निम्नलिखित प्रस्तावों की घोषणा की है:
एमएसएमई वित्तपोषण हमारे बैंक के ऋण का एक प्रमुख घटक है. बैंक भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधान मंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया आदि जैसी योजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए एमएसएमई केन्द्रित व्यावसायिक बैंकिंग शाखाएं/चैनल प्रोसेसिंग केंद्र स्थापित किए हैं एवं एमएसएमई क्षेत्र को अधिक से अधिक वित्तपोषित करने के लिए एमएसएमई विशिष्ट ऋण उत्पाद/क्लस्टर योजनाओं की शुरुआत की है.
एमएसएमई क्षेत्र के समक्ष सदैव चुनौतियाँ आती रहीं है तथा इन चुनौतियों का सामना कर इन्हे साकार करने की नितांत आवश्यकता है ताकि एमएसएमई उद्यम राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी ले सकें.
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